जीएसटी काउंसिल जल्द ही स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरों में कटौती कर सकती है, जिससे बीमा पॉलिसीधारकों को राहत मिल सकती है। यह कदम लंबे समय से बीमा क्षेत्र की प्रमुख मांग रही है।
यदि जीएसटी दरों में कटौती की जाती है, तो बीमा प्रियम पर जीएसटी में कितनी कमी आएगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अंतिम निर्णय में जीएसटी दर कितनी कम की जाती है। वर्तमान में, जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी लागू होता है।
संभावित जीएसटी कटौती
हाल ही में हुई बैठक में बीमा उत्पादों पर जीएसटी में तीन प्रमुख प्रस्ताव दिए:
- वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी छूट: वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को जीएसटी से मुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया।
- जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी में राहत: जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दर घटाने या छूट देने पर चर्चा हुई।
- आम जनता के लिए स्वास्थ्य बीमा: 5 लाख तक की कवरेज वाली स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव: हालांकि, इन उत्पादों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की अनुमति नहीं दी जाएगी।
ये प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल की स्वीकृति के बाद लागू होंगे। यह कटौती बीमा योजनाओं को अधिक किफायती बनाएगी और बीमा क्षेत्र में अधिक लोगों को आकर्षित करने में मदद करेगी। जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, जिससे बीमा प्रीमियम में संभावित कमी का अंदाजा लगाया जा सकेगा।
जीएसटी कटौती का आपके बीमा प्रीमियम पर प्रभाव क्या होगा
तो चलिए एक उदाहरण से समझते हैं कि जीएसटी कटौती होने के बाद आपका बीमा प्रियम पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा| यदि आप रु. 20000 का स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम भुगतान करते हैं, तो वर्तमान में आपको 18% जीएसटी के साथ रु. 3600 अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। कुल बीमा प्रीमियम रु. 23600 हो जाता है। यदि जीएसटी पूरी तरह से हटा दिया जाता है, तो आपको हर बार रु. 3600 की बचत होगी।
- यदि जीएसटी 12% हो जाता है: तब आपको रु. 2400 का जीएसटी देना होगा और आपका कुल प्रीमियम रु. 22400 हो जाएगा। इससे आपको रु. 1200 की बचत होगी।
- यदि जीएसटी 5% हो जाता है: तब आपको रु. 1000 का जीएसटी देना होगा और आपका कुल प्रीमियम रु. 21000 हो जाएगा। इस स्थिति में आप रु. 1600 की बचत करेंगे।
जीएसटी हटाने का सुझाव वरिष्ठ नागरिकों और आम परिवारों के लिए बीमा को अधिक सुलभ बना सकता है। हालांकि, बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का नुकसान हो सकता है, जिससे बीमा की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है।