भारत में बीमा उद्योग का प्रारंभिक स्वरूप
जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत में जीवन बीमा उद्योग 1956 में एलआईसी की स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ | यह वह दौर था जब भारत में वैश्वीकरण नहीं आया था और भारत देश तकनीकी ज्ञान में बहुत ही पीछे था | उस दौर में LIC ने लोगों के बीच इंश्योरेंस की समझ पैदा की और लोगों को इंश्योरेंस खरीदने के लिए बहुत हद तक प्रेरित किया| धीरे-धीरे समय के साथ-साथ भारत उन्नति की ओर आगे बढ़ता गया और एक समय आया जब भारत ने ग्लोबलाइजेशन में कदम रखा (भारत में वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई थी) जो भारत में सभी उद्योग बाजारों के लिए प्रगति की ओर बहुत बड़ा कदम था, सन 2001 तक LIC ही एक ऐसी कंपनी थी जो जीवन बीमा उद्योग में पूरी तरह पकड़ बनाए हुए थे लेकिन वैश्वीकरण के बाद 2001 से कुछ प्राइवेट कंपनियां भी बीमा उद्योग में उतर आई|
बीमा उद्योग में डिजिटल परिवर्तन क्यों जरूरी है और उसके उद्देश्य ?
धीरे-धीरे तकनीकी सुविधाओं के बलबूते और एफडीआई के जरिए इंश्योरेंस सेक्टर में एक नई क्रांति आ गई जिसके कारण जीवन बीमा उद्योग में बहुत सारे बदलाव हुए और तकनीकी ज्ञान एवं बदलावों की सहायता के प्रयोग से जीवन बीमा उद्योग क्षेत्र उन्नति की ओर अग्रसर हुआ| और समय के साथ-साथ बीमा उद्योग इन महत्वपूर्ण बदलावों के साथ जीडीपी में भी अपना योगदान देने लगा| इंश्योरेंस सेक्टर में डिजिटल बदलाव की शुरुआत 2000 दशक के अंत से शुरू हुई और इसका 2010 के बाद बहुत तेजी से विस्तार होने लगा| डिजिटल बदलावों का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को बेहतर सेवा देना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना, और लागत में कमी लाना था। यहां कुछ प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से डिजिटल परिवर्तन महत्वपूर्ण रहे:-
- ग्राहक अनुभव में सुधार : – ऑनलाइन पॉलिसी खरीदना ,क्लेम प्रोसेस, किसी भी तरह की पॉलिसी में बदलाव या जानकारी ग्राहकों के लिए प्राप्त करना डिजिटल बदलावों के जरिए बहुत आसान हो गया |
- इंश्योरेंस वितरण का विस्तार : – जैसा कि हम जानते हैं 2010 के बाद डिजिटल बदलावों ने बीमा उद्योग में एक क्रांति ला दी, पॉलिसी बाजार जैसे प्लेटफार्म बीमा की जानकारी को घर-घर गांव में छोटे छोटे क्षेत्र तक पहुंचने में बहुत मदद की, टीवी एडवर्टाइजमेंट के जरिए पॉलिसी बाजार ने जीवन बीमा उद्योग में एक अलग किस्म की क्रांति ला दी| भारत में जीवन बीमा प्रोडक्ट की जानकारी या उसकी समझ आम लोगों तक बहुत ही कम लोगों के पास थी यहां तक की लोग नहीं समझते थे कि टर्म इंश्योरेंस क्या होता है जीवन बीमा प्लान का हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है, डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए बीमा उद्योग बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ा और लोगों में जागरूकता पैदा की|
- ऑपरेशनल एफिशिएंसी: डिजिटल प्रक्रियाओं से बीमा कंपनियों को डेटा एनालिटिक्स, ऑटोमेशन, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ मिला, जिससे निर्णय लेने में तेजी आई।
- डेटा सिक्योरिटी और ट्रांसपेरेंसी: डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए बीमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में बहुत ज्यादा मदद मिली जिसमें एक सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण पॉलिसी बाजार जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी है | लोग अब अपनी जरूरतों के हिसाब से उत्पाद चुनने के लिए बेहतर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- नए उत्पादों और सेवाओं का आगमन: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), टेलीमेटिक्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों ने नए प्रकार की पॉलिसी और सेवाओं को जन्म दिया है, जैसे कि usage-based insurance (UBI), health tracking-based policies, आदि।
इन सभी डिजिटल परिवर्तनों के साथ आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकी ने डिजिटल वर्ल्ड में एक नई क्रांति की शुरुआत कर दी है इसकी मदद से बीमा उद्योग क्षेत्र भविष्य में नई बुलंदियों को छूने की क्षमता रखता है| डिजिटल मार्केटिंग ने ग्राहकों और कंपनी के बीच सकारात्मक प्रतिष्ठा और ब्रांड जागरूकता बनाए रखने में बहुत मदद की है और देखते ही देखते आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बीमा क्षेत्र में बहुत सारे प्रोडक्ट और ऑपरेशनल प्रक्रिया ऑटोमेशन पर आ गए हैं जिसकी मदद से बीमा कंपनियों को ग्राहक सेवा में बहुत बड़ा सुधार करने व सेवाओं को तत्काल ग्राहक को उपलब्ध कराने में मदद मिली है |
जीवन बीमा उद्योग कैसे हाइपर-पर्सनलाइजेशन और ऑटोमेशन के संयोजन से भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हाइपर-पर्सनलाइजेशन का मतलब है कि बीमा कंपनियाँ अपने ग्राहकों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझकर उन्हें व्यक्तिगत सेवाएँ प्रदान कर रही हैं। यह व्यक्तिगत अनुभव उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं के आधार पर डिजाइन किया गया है, जैसे कि उनकी बीमा योजना की सटीकता और आवश्यकताओं के अनुसार सुझाव देना।
दूसरी ओर, ऑटोमेशन से प्रक्रियाओं को अधिक कुशल और तेज़ बनाया जा रहा है। इससे न केवल बीमा कंपनियों को समय और लागत की बचत होती है, बल्कि ग्राहकों को भी तेजी से सेवाएँ मिलती हैं।
ऑटोमेशन और हाइपर-पर्सनलाइजेशन का यह मेल बीमा कंपनियों को ग्राहकों के डेटा का बेहतर उपयोग करने में मदद करता है, जिससे उन्हें उनके जीवनशैली, वित्तीय स्थिति और जोखिम के आधार पर अधिक सटीक बीमा योजनाएँ पेश की जा सकती हैं। हालांकि, इस सब के बीच मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय भी जरूरी हैं, क्योंकि ऑटोमेशन के बढ़ते उपयोग के साथ डेटा सुरक्षा का खतरा भी बढ़ जाता है।इस प्रकार, जीवन बीमा उद्योग में इन नई तकनीकों का उपयोग ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने और कंपनियों की कार्यक्षमता में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
एआई बीमा उद्योग को कैसे बदल रहा है? तो चलिए आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक बहुत बड़े उपयोग को एक उदाहरण के साथ समझते हैं जिसे अभी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम सेटेलमेंट करने के लिए प्रयोग में लाने का इनिशिएटिव लिया है| मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने एक नया और उन्नत “क्लेम्स ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम” लॉन्च किया है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक और एनालिटिक्स का उपयोग किया जा रहा है ताकि क्लेम प्रोसेसिंग को बेहतर बनाया जा सके। इसके तहत कंपनी का उद्देश्य 30% मृत्यु क्लेम्स को 3 घंटे के भीतर प्रोसेस करना है। फिलहाल, कंपनी 60% मृत्यु क्लेम्स को 24 घंटों के अंदर निपटाती है। इस प्रोग्राम के तहत, मैक्स लाइफ ने ऑटोमेशन तकनीक, स्ट्रेट-थ्रू प्रोसेसिंग (STP), एपीआई इंटीग्रेशन और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) को अपनाया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से कंपनी ने क्लेम्स के निपटान का समय (TAT) काफी हद तक घटा दिया है, जिससे कंपनी ने 99.65%** की मृत्यु क्लेम्स भुगतान दर और FY24 में 56+ का नेट-प्रमोटर स्कोर हासिल किया है।
यह नया क्लेम्स ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम इस उन्नत प्रणाली की नींव है, जो जोखिमपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करता है और क्लेम्स की वैधता का आकलन करता है। इसके प्रमुख फीचर्स में शामिल हैं:
• बेहतर ऑटोमेशन: स्ट्रेट-थ्रू प्रोसेसिंग (STP) की शुरुआत से 30% तक क्लेम्स ऑटोमेट हो सकते हैं, जिससे मैन्युअल हस्तक्षेप कम होगा और संचालन क्षमता में सुधार होगा।
• धोखाधड़ी की पहचान: मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग कर संभावित धोखाधड़ी वाले क्लेम्स का पता लगाया जाएगा, जिससे लागत बचत होगी और पॉलिसीधारकों के लिए प्रतिस्पर्धी प्रीमियम बनाए रखने में मदद मिलेगी।
• सटीकता और ग्राहक संतुष्टि में सुधार: उन्नत एनालिटिक्स के जरिए यह प्रोग्राम क्लेम्स की सटीकता बढ़ाएगा और ग्राहक नेट प्रमोटर स्कोर (NPS) में सुधार करेगा।
यह प्रोग्राम मैक्स लाइफ की ग्राहक-केंद्रितता और पॉलिसीधारकों संपूर्ण बीमा उद्योग को बेहतर मूल्य प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम के जरिए कंपनी क्लेम्स प्रोसेसिंग के स्वचालित वर्कफ्लो का समय और भी कम करने का लक्ष्य रखती है, जिससे ग्राहकों को और बेहतर सेवा का अनुभव मिल सके।
कंपनी का मानना है कि इस नई व्यवस्था से उनकी विश्वसनीयता बढ़ेगी और ग्राहकों का विश्वास मजबूत होगा। मैक्स लाइफ का उद्देश्य सिर्फ क्लेम प्रोसेसिंग को तेज करना नहीं है, बल्कि इसमें पूरी पारदर्शिता और सरलता बनाए रखना भी है, ताकि ग्राहकों को किसी भी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
इस नई प्रणाली को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए कंपनी ने आधुनिक डिजिटल टूल्स का सहारा लिया है, जिससे क्लेम प्रोसेसिंग में मानवीय त्रुटियों की संभावना कम हो जाती है।
कुल मिलाकर, मैक्स लाइफ का यह कदम ग्राहकों को बेहतर सेवा और तेज क्लेम निपटारे का वादा करता है। एआई किस तरह बीमा उद्योग को बदल रहा है इसका यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण है जो भविष्य बीमा उद्योग के अंदर महत्वपूर्ण बदलावों में एक साबित होगा और आई की मदद से बीमा उद्योग विश्व में एक नई क्रांति ला सकता है|
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग की बीमा उद्योग क्षेत्र में चुनौतियां? (डेटा सिक्योरिटी और ट्रांसपेरेंसी) : –
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिजिटल इंश्योरेंस में जिस तरह से बड़े बदलाव ला रहा है यह इंश्योरेंस क्षेत्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है लेकिन इसकी कुछ चुनौतियां भी हैं जिनको हमें समझ कर जल्द ही उनके निवारण की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए इन चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती है डाटा सिक्योरिटी एंड ट्रांसपेरेंसी | हाल ही में स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की डाटा लीकेज की घटना ने सब को चौंका दिया और यह घटना हम सबके लिए एक सबक है जो यह दर्शाता है कि हम सभी को एक साथ मिलकर इस चुनौती से निपटने के लिए उपायों पर एक साथ काम करना होगा और सभी बीमा कंपनियों का कर्तव्य है कि वह ग्राहक के डाटा सिक्योरिटी और ट्रांसपेरेंसी को महत्व देते हुए भविष्य में इस चुनौती से निपटने के लिए नए-नए उपायों पर कार्य करेंगे | निष्कर्ष
डिजिटल परिवर्तन से बीमा क्षेत्र में काफी क्रांति आई है और इसने ग्राहकों और कंपनियों दोनों के लिए प्रक्रियाओं को सुगम और सुलभ बना दिया है। लेकिन डाटा सिक्योरिटी आज भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिस पर हमें सोचना होगा और ग्राहकों को एक बेहतर सुविधा देने के साथ-साथ उनके डाटा को सुरक्षित रखना भी बीमा कंपनियों का कर्तव्य है हाल ही में हुए स्टार हेल्थ इंश्योरेंस डाटा लीकेज की घटना ने फिर से डिजिटल और ऑटोमेशन प्रक्रिया पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया है इसके बारे में हम सभी को मिलकर सोचना होगा और इसे डिजिटल परिवर्तन के साथ डाटा सिक्योरिटी कंट्रोल करके ग्राहकों में विश्वसनीय और उनके भरोसे पर खरा उतरना होगा|