हेल्थ इंश्योरेंस टॉप अप Vs सुपर टॉप अप प्लान क्या है?
बेस प्लान और टॉप अप प्लान में क्या अंतर है?
- बीमित राशि (Sum Insured): बेस प्लान और टॉपर प्लान में अंतर समझने के लिए सबसे पहले हमें दोनों प्लान में विमित राशि {हेल्थ कवर} के इस्तेमाल को समझना होगा –
- बेस प्लान: बेस हेल्थ इंश्योरेंस प्लान एक निश्चित हेल्थ कवर के साथ आता है, जो आपकी प्रारंभिक चिकित्सा खर्चों को कवर करता है। यह पॉलिसी आपके अस्पताल में भर्ती होने या अन्य चिकित्सा आवश्यकताओं पर आने वाले खर्चों को सीधे कवर करती है, जब तक कि बेस पॉलिसी की कुल बीमित राशि (हेल्थ कवर) पूरी तरह खर्च न हो जाए।
- टॉप-अप प्लान: टॉप-अप प्लान एक अतिरिक्त बीमित राशि (हेल्थ कवर) प्रदान करता है, जो तब काम में आती है जब आपकी बेस पॉलिसी की बीमित राशि समाप्त हो जाती है। जैसा कि अपने ऊपर बेस प्लान में समझा हालांकि, यह पॉलिसी तभी लागू होती है जब आपकी चिकित्सा लागतें एक तय सीमा (डिडक्टिबल) से अधिक हो जाती हैं।
- डिडक्टिबल (Deductible): बीमित राशि का एक हिस्सा आपको खुद ही वहन करना होता है या आपको अपनी बेस प्लान पॉलिसी से इस्तेमाल करना होता है उस राशि को डिडक्टिबल अमाउंट कहते हैं| चलिए दोनों में अंतर को समझते हैं –
- बेस प्लान: बेस प्लान में कोई डिडक्टिबल नहीं होता। आपके मेडिकल खर्च को बीमित राशि तक सीधे कवर किया जाता है।
- टॉप-अप प्लान: टॉप-अप प्लान में डिडक्टिबल होता है, यानी बीमित राशि का एक हिस्सा आपको खुद वहन करना होता है। इसके बाद ही टॉप-अप प्लान शेष खर्च को कवर करता है।
- कवरेज सीमा (Coverage Limit):
- बेस प्लान: बेस प्लान के तहत कवर किए गए खर्चों की सीमा आपके द्वारा चुनी गई बीमित राशि पर निर्भर करती है, और इसे समाप्त होने के बाद आपको अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है।
- टॉप-अप प्लान: टॉप-अप प्लान तब शुरू होता है जब आपका बेस प्लान (खुद ही वहन करने वाला अमाउंट) या नियोक्ता द्वारा दी गई मेडिक्लेम पॉलिसी की सीमा पार हो जाती है।
- प्रीमियम (Premium):
- बेस प्लान: बेस प्लान के लिए प्रीमियम टॉप-अप प्लान की तुलना में अधिक होता है क्योंकि यह बिना किसी डिडक्टिबल के शुरुआती मेडिकल खर्चों को कवर करता है।
- टॉप-अप प्लान: टॉप-अप प्लान के लिए प्रीमियम कम होता है क्योंकि यह केवल बड़ी चिकित्सा लागतों को कवर करता है, जब आपका बेस प्लान समाप्त हो जाता है या डिडक्टिबल की सीमा पार हो जाती है।
टॉप अप प्लान किसके लिए उपयोगी (Best Suited For):
- बेस प्लान: यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन्हें सामान्य चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए एक संपूर्ण कवरेज चाहिए।
- टॉप-अप प्लान: यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनके पास पहले से बेस पॉलिसी है या नियोक्ता द्वारा दी गई कवरेज है, और वे अतिरिक्त सुरक्षा चाहते हैं, खासकर गंभीर या महंगी चिकित्सा स्थितियों के लिए। यहां पर मैं सलाह दूंगा कि आप जब भी अपना बेस प्लान परचेज करें साथ में ही टॉप अप या सुपर टॉप अप पॉलिसी भी परचेस कर लेनी चाहिए इससे आगे भविष्य में आपको क्लेम से संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेग
संक्षेप में, बेस प्लान आपकी चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए प्राथमिक कवरेज प्रदान करता है, जबकि टॉप-अप प्लान आपको अतिरिक्त सुरक्षा देता है, जो तभी काम करता है जब आपकी चिकित्सा खर्चें एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाएं।
टॉप अप और सुपर टॉप अप इंश्योरेंस में क्या अंतर है?
देखने में टॉप अप और सुपर टॉप अप कर एक जैसे ही लगते हैं लेकिन हकीकत में दोनों में काफी डिफरेंस है जिसको जानना आपके लिए बहुत ही आवश्यक है| चलिए बिंदु वाइस सभी को कुछ उदाहरण के साथ समझते हैं|
- कवरेज की प्रकृति (Coverage Nature):
- टॉप-अप इंश्योरेंस: टॉप-अप प्लान तब काम करता है जब एक ही क्लेम के मेडिकल खर्च डिडक्टिबल (threshold limit) से अधिक हो जाते हैं। इसका मतलब है कि यदि किसी एक बार के अस्पताल खर्च से डिडक्टिबल की सीमा पार होती है, तभी टॉप-अप प्लान से अतिरिक्त खर्च कवर किया जाता है। उदाहरण, के लिए मेरा बेसिक पॉलिसी का कवर 5 लख रुपए का है और यदि एक बार मेडिकल में भर्ती हो जाने के बाद मेरा एक बार का ही खर्च 7 लाख रुपया आता है तो 5 लाख मेरी बेसिक पॉलिसी से भुगतान किया जाएगा और बैलेंस 2 लाख का टॉप अप इंश्योरेंस से हो जाएगा| वहीं पर यदि आपके 3:30 लाख व 3:30 लाख के दो अलग-अलग बिल हैं तो इस कंडीशन में टॉप अप पॉलिसी आपकी मदद नहीं करेगी क्योंकि किसी भी बल ने आपकी बेसिक पॉलिसी 5 लाख का अमाउंट पार नहीं किया वह एक्स्ट्रा अमाउंट आपको खुद पे करना होगा|
- सुपर टॉप-अप इंश्योरेंस: सुपर टॉप-अप प्लान, टॉप-अप प्लान से एक कदम आगे है। यह पूरे साल के दौरान किए गए कुल मेडिकल खर्चों को ध्यान में रखता है, चाहे वे कई बार के अस्पताल खर्च हों। यदि एक साल में कई बार के क्लेम डिडक्टिबल से ऊपर जाते हैं, तो सुपर टॉप-अप प्लान कवर प्रदान करता है।
- डिडक्टिबल का प्रभाव (Deductible Impact):
- टॉप-अप प्लान: इसमें हर बार क्लेम करने पर आपको डिडक्टिबल राशि खुद वहन करनी होती है। हर क्लेम अलग-अलग देखा जाता है, और डिडक्टिबल की सीमा एक बार के क्लेम के लिए ही लागू होती है।
- सुपर टॉप-अप प्लान: सुपर टॉप-अप प्लान में एक बार सालाना डिडक्टिबल की सीमा पार हो जाने के बाद, वह पूरे साल के दौरान किए गए सभी क्लेम को कवर करता है, भले ही वे कई बार किए गए हों।
- क्लेम की गिनती (Claim Count):
- टॉप-अप इंश्योरेंस: यह केवल एक क्लेम पर ही काम करता है। यदि आपका क्लेम एक बार में डिडक्टिबल से कम है, तो आपको कवरेज नहीं मिलेगा।
- सुपर टॉप-अप इंश्योरेंस: यह एक साल में किए गए कुल क्लेम को जोड़कर डिडक्टिबल सीमा को पार करने के बाद कवरेज प्रदान करता है, यानी कई बार के क्लेम को ध्यान में रखता है।
- कवरेज की लचीलापन (Flexibility in Coverage):
- टॉप-अप प्लान: यह तब उपयुक्त है जब आपको एक बार के बड़े क्लेम के लिए अतिरिक्त सुरक्षा चाहिए।
- सुपर टॉप-अप प्लान: यह अधिक लचीला और व्यापक कवरेज प्रदान करता है, खासकर उन मामलों में जहां आपको एक साल में कई बार अस्पताल जाना पड़ सकता है और हर बार डिडक्टिबल सीमा पार हो सकती है।
उदाहरण:- टॉप-अप प्लान उदाहरण: यदि आपकी पॉलिसी में 2 लाख रुपये का डिडक्टिबल है और एक बार का अस्पताल खर्च 3 लाख रुपये आता है, तो टॉप-अप प्लान सिर्फ 1 लाख रुपये कवर करेगा।
- सुपर टॉप-अप प्लान उदाहरण: अगर आपकी पॉलिसी में 2 लाख रुपये का डिडक्टिबल है और आप साल में 1.5 लाख और 2 लाख रुपये के दो अलग-अलग क्लेम करते हैं, तो सुपर टॉप-अप प्लान कुल मिलाकर डिडक्टिबल से ऊपर की राशि कवर करेगा, यानी दूसरे क्लेम के 1 लाख रुपये कवर करेगा।
सारांश:
- टॉप-अप इंश्योरेंस केवल एक बार के क्लेम पर कवरेज प्रदान करता है, जबकि
- सुपर टॉप-अप इंश्योरेंस पूरे साल के दौरान कुल क्लेम को ध्यान में रखते हुए कवरेज प्रदान करता है। सुपर टॉप-अप अधिक व्यापक और बहु-क्लेम स्थितियों में फायदेमंद होता है।
टॉप अप योर सुपर टॉप अप पॉलिसी लेते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें :-
- जिस कंपनी से आपका बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस है, उसी कंपनी का टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान लेना बेहतर होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा क्लेम करते समय होता है। यदि टॉप-अप या सुपर टॉप-अप किसी दूसरी कंपनी से है, तो आपको क्लेम दोनों कंपनियों में अलग-अलग करना पड़ेगा, जिससे अधिक समय लग सकता है। या हो सकता है कि सुपर टॉप अप वाली कंपनी की लिस्ट में वह हॉस्पिटल पैनल पर हो ही ना|
- अगर आपका बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस फैमिली फ्लोटर है, तो टॉप-अप या सुपर टॉप-अप भी फैमिली फ्लोटर प्लान ही लें। हालांकि, आप चाहें तो इंडिविजुअल प्लान भी चुन सकते हैं।
- जैसे बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस में अस्पताल में भर्ती होने से पहले और डिस्चार्ज के बाद का मेडिकल खर्च कवर होता है, वैसा ही कवर टॉप-अप और सुपर टॉप-अप प्लान्स में भी मिलता है। लेकिन सुपर टॉप अप पॉलिसी में रूम रेंट के लिए कुछ इमिटेशन होती हैं जिनको आपको लेने से पहले चेक कर लेना चाहिए|
- टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान लेते समय डिडक्टेबल लिमिट की पूरी जानकारी जरूर लें। यदि आप टॉप-अप ले रहे हैं, तो यह भी सुनिश्चित करें कि डिडक्टेबल लिमिट पॉलिसी वर्ष में केवल एक बार के क्लेम पर लागू होगी या हर क्लेम पर।
- बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस या टॉप-अप/सुपर टॉप-अप के प्रीमियम की दर आपकी उम्र, परिवार के सदस्यों की संख्या और आपके शहर जैसे कारकों के आधार पर बदल सकती है।
निष्कर्ष
अंत में मैं बस यही कहना चाहूंगा कि आप चाहे टॉप अप प्लान ले या सुपर टॉपर प्लान अपनी जरूरत के हिसाब से लेकिन बेसिक पॉलिसी के साथ-साथ आपको टॉप अप प्लान ले लेना चाहिए COVID के बाद मेडिकल इलाज बहुत ही महंगा हो चुका है और भविष्य में न जाने किन अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ जाए तो अगर आप अपनी फाइनेंशियल क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए टॉप अप या सुपर टॉप अप पॉलिसी लेने में सक्षम है तो आपको भी संतोष ले लेना चाहिए|
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